श्रेष्ठ भारत (Shresth Bharat) | Hindi News

Our sites:

|

Follow us on

|

कौन होगा बीजेपी-कांग्रेस के लिए वोट कटवा ?


मध्य प्रदेश में मुकाबला भले ही बीजेपी और कांग्रेस के बीच नजर आ रहा हो लेकिन कुछ क्षेत्रीय पार्टियां ऐसी हैं जो दोनों राष्ट्रीय पार्टियों का खेल बिगाड़ सकती है। ये हम नहीं कह रहे हैं बल्कि  साल 2013 और 2018 के विधानसभा के वोटों के आकंड़ों पर नजर डालें तो मध्य प्रदेश में 30 ऐसी सीटे हैं जहां पर क्षेत्रीय पार्टियों ने बीजेपी और कांग्रेस दोनों का खेल खराब किया है। क्षेत्रीय पार्टियों में खासतौर पर बीएसपी, सपा, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी, ओवैसी की एआईएमआईएम और आप शामिल हैं।

2018 के विधानसभा चुनावों में इन्ही पार्टियों की वजह से बीजेपी और कांग्रेस के बीच 30 सीटों पर कांटे की टक्कर हुई थी। इन सीटों पर उम्मीदवारों की हार जीत महज 3000 वोटों या उससे कम से हुई थी, 30 में से 15 सीटें कांग्रेस ने और 14 सीटें बीजेपी ने जीती थी, वहीं एक सीट बीएसपी ने जीती थी। इसके इतर 2013 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो इसमें बीजेपी को बहुमत मिला था। जिससे सरकार बनाने में कोई दिक्कत नहीं हुई थी।

हालांकि उस साल भी 33 सीटें ऐसी थीं, जहां 3000 से कम वोटों से बीजेपी और कांग्रेस उम्मीदवारों की जीत हुई थी।  33 में से 18 सीटें बीजेपी को, 12 कांग्रेस को, 2 बीएसपी और 1 निर्दलीय उम्मीदवार को मिली थी। इससे स्पष्ट होता है कि एमपी चुनाव में छोटी पार्टियां को हल्के में लेने की गलती कोई नहीं कर सकता। मध्य प्रदेश चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाली बीएसपी ने इस बार गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के साथ गठबंधन किया है जो बीजेपी और कांग्रेस की सिरदर्दी और बढ़ा देगा। समाजवादी पार्टी मध्य प्रदेश में अकेले ही उतरी है और उसने इंडी गठबंधन का साथ मध्य प्रदेश चुनाव में नहीं दिया। सपा ने मध्य प्रदेश चुनाव के लिए अभी तक 31 सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है। 2013 के विधानसभा चुनाव में 33 सीटें ऐसी थी जहां पर मुकाबला बेहद नजदीक रहा।

2018 के विधानसभा चुनाव में इनमें से 26 सीटें अलग-अलग पार्टियां जीती थीं। इससे साफ है कि एमपी में छोटी पार्टियां कैसे रिजल्ट पर असर डालती हैं। इन 26 सीटों पर 2013 की तुलना में रिजल्ट बदल गया। 2018 में कांग्रेस 16 और बीजेपी ने 9 सीटें जीती थी, साथ ही एक निर्दलीय उम्मीदवार की जीत हुई थी। इसके साथ ही इनमें सात सीटें ऐसी थीं, जहां 2013 और 2018 में बीजेपी को ही जीत मिली थी। इनमें कांग्रेस को चार और बीजेपी को तीन सीटों पर जीत मिली थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में 30 सीटों पर उम्मीदवारों की जीत 3000 से कम वोटों से हुई थी। इनमें कांग्रेस 15, बीजेपी 14 और बीएसपी 1 सीट पर जीती थी, इन सीटों पर क्षेत्रीय दलों को जीत-हार के अंतर से अधिक वोट मिले थे।

टिमरनी, देवतलाब, राजपुर, विजयपुर, ग्वालियर ग्रामीण, ग्वालियर दक्षिण, बीन और मैहर ऐसी सीटें थीं जहां पर बीजेपी और कांग्रेस का खेल क्षेत्रीय पार्टियों ने बिगाड़ा था। ऐसी स्थिति दोबारा ना दोहराई जाए इसके लिए बीजेपी और कांग्रेस ऐसी सीटों पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं जहां पर उनकी हार का अंतर 3000 से कम था। नतीजों को देखते हुए बीजेपी और कांग्रेस कांटे की टक्कर वाली सीटों पर अलग रणनीति के साथ काम कर रही है। बीजेपी बूथ लेवल पर गहरी नजर रखे हुए हैं। खासकर उन जगहों पर जहां 2018 में बीजेपी बेहद कम अंतर से चुनाव हारी थी। लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में इन्हीं सीटों से बंपर वोट भी मिले थे। बीजेपी ने 12000 बूथ चिह्नित किए हैं जहां पर पिछली बार 3000 से कम वोटों से हारे थे। दूसरी तरफ कांग्रेस भी जमीनी स्तर पर बूथ को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टियां कितनी भी रणनीति बना लें लेकिन वोटर तय करेंगे कि इस बार मध्य प्रदेश की कमान किसके हाथ में होगी।


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

Health News
Health News: टॉयलेट सीट पर चलाते हैं फोन, बड़ी बीमारी से हो सकते हैं ग्रसित!
CM DHAMI
Uttarakhand: जनजातीय गौरव दिवस आज, मुख्यमंत्री धामी करेंगे कार्यक्रम का शुभारंभ
UPPSC Exam News Date
UPPSC Exam News Date: UPPSC परीक्षा की नई तारीख का एलान, जानें कब होगा एग्जाम
UPPSC RO-ARO Protest
UPPSC Protest: छात्रों का आंदोलन 5वें दिन भी जारी, जानें कहां फंसा है पेंच
Anshul Kamboj
Ranji Trophy: अंशुल कंबोज ने रचा इतिहास, ऐसा करने वाले बने 6ठें भारतीय गेंदबाज
India Vs South Africa 4th T20
IND vs SA: सीरीज जीतने के इरादे से उतरेगी सूर्या ब्रिगेड, जानें संभावित प्लेइंग11