Chinmay Krishna Das Case: बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोत के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगा था। इस मामले में उच्च न्यायालय में जमानत के लिए आवेदन दायर किया गया था। इससे पहले बांग्लादेश के बंदरगाह शहर चटगांव की एक निचली अदालत ने 2 जनवरी को चिन्मय की जमानत याचिका खारिज कर दिया था।
25 नवंबर को हुए थे गिरफ्तार
चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने मीडिया को फोन पर बताया, “हमने 12 जनवरी को चिन्मय की जमानत के लिए उच्च न्यायालय में आवेदन किया था। हम सोमवार (आज) को सुनवाई के लिए अदालत में उल्लेख करेंगे।” बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास को पिछले साल 25 नवंबर को ढाका हवाई अड्डे से गिरफ्तार किया गया था
कृष्ण दास को जमानत देने से इनकार
डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, चटगांव की एक अदालत ने कड़ी सुरक्षा के बीच हुई सुनवाई के बाद इस्कॉन के पूर्व नेता चिन्मय कृष्ण दास को जमानत देने से इनकार कर दिया। मेट्रोपॉलिटन पब्लिक प्रॉसिक्यूटर एडवोकेट मोफिजुर हक भुइयां के अनुसार, दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मेट्रोपॉलिटन सेशन जज मोहम्मद सैफुल इस्लाम ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
वह बांग्लादेश का झंडा नहीं- भट्टाचार्जी
एडवोकेट अपूर्व कुमार भट्टाचार्जी ने बताया, जिस झंडे के अपमान का आरोप लगाया गया है, वह बांग्लादेश का झंडा नहीं था। अदालत की अनुमति के बिना देशद्रोह का आरोप नहीं लगाया जा सकता। इस मामले में राज्य की अनुमति नहीं मांगी गई थी।”
विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
बता दें कि यह घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर कई हमलों के बाद हुई है। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा था, “अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी और लूटपाट के कई मामले दर्ज हैं, साथ ही चोरी, तोड़फोड़ और देवताओं और मंदिरों को अपवित्र करने के भी कई मामले दर्ज हैं।”
अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर भी चिंता
यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन घटनाओं के अपराधी अभी भी खुलेआम घूम रहे हैं, लेकिन शांतिपूर्ण सभाओं के माध्यम से वैध मांगें पेश करने वाले धार्मिक नेता के खिलाफ आरोप लगाए जा रहे हैं। हम दास की गिरफ्तारी के खिलाफ शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे अल्पसंख्यकों पर हमलों को लेकर भी चिंता जताते हैं। हम बांग्लादेश के अधिकारियों से हिंदुओं और सभी अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का आग्रह करते हैं, जिसमें शांतिपूर्ण सभा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उनका अधिकार भी शामिल है।