प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार नामांकन दाखिल करने के मौके पर मीडिया से बात की। इस पीएम मोदी ने कहा कि मैं चुनाव में हिंदू मुसलमान नहीं कर रहा हूं और जिस दिन हिंदू-मुसलमान करूंगा तो उस दिन मैं सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहूंगा। प्रधानमंत्री के इस बयान पर सियासी घमासान मच गया है। विपक्ष के तमाम नेताओं ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं। चलिए हम बताते हैं कि विपक्ष का क्या कहना है।
दरअसल, वाराणसी में गंगा में क्रूज पर सैर करते मोदी जी की तस्वीरें सामने आई थी। नामांकन भरने वाले दिन सुबह सुबह प्रधानमंत्री ने वाराणसी में क्रूज यात्रा की। उनके साथ क्रूज पर कई पत्रकार भी थे। इस दौरान पीएम मोदी ने हिंदू और मुसलमान को लेकर की जाने वाली राजनीति पर खुलकर बात की और कहा कि वह कभी हिंदू और मुसलमान को नहीं बांटेंगे। पीएम ने कहा कि उनका बचपन मुस्लिम परिवारों के बीच ही बीता है। मेरे बहुत सारे मुस्लिम दोस्त हैं। 2002 के बाद मेरी छवि को खराब करने की कोशिश की गई है। गुजरात के वडनगर में हमारे आस-पड़ोस में मुस्लिम परिवार रहा करते थे। ईद के मौके पर हम घर पर खाना भी नहीं बनाते थे, क्योंकि हमारे आस-पड़ोस में रहने वाले मुस्लिम पड़ोसियों के यहां से ही खाना आया करता था। यहां तक कि हम मुहर्रम पर ताज़िया देखने जाते थे।
इसी बीच पीएम मोदी से सवाल किया गया कि जब आप बचपन में मुसलमानों से इतने लगाव का जिक्र कर रहे हैं तो फिर राजस्थान के बांसवाड़ा की रैली में आपने मुसलमानों को घुसपैठिया और ज्यादा बच्चे पैदा करने वाला क्यों कहा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा मैं हैरान हूं कि इसे मुसलमानों से जोड़ा जा रहा है। जबकि हमने इसके पहले न हिंदू कहा था और न मुसलमान कहा था। हमारे यहां किसी भी समाज में जहां गरीबी ज्यादा है, वहां बच्चे ज्यादा हैं। हमारा इतना ही कहना है कि उतने ही बच्चे हों, जिनका लालन-पालन आप आसानी से कर सकें। मैंने राजनीति में कभी हिंदू-मुस्लिम नहीं किया, जिस दिन हिंदू-मुसलमान करूंगा, उस दिन सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहूंगा। मैं कभी हिंदू-मुसलमान नहीं करूंगा, यह मेरा संकल्प है। मैं सरकारी योजनाओं के माध्यम से लाभार्थियों को लाभान्वित कराते समय जाति या धर्म नहीं देखता हूं।
वहीं, प्रधानमंत्री के बयान पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि सत्ताधारी दल का एजेंडा झूठ की राजनीति का है। उसके सारे नेता झूठ बोलते हैं। हर चुनाव को हिंदू-मुसलमान बनाकर लड़ते हैं। पीएम मोदी वाराणसी में बैठकर झूठ बोल रहे हैं। वह सिर्फ इस चुनाव में ही नहीं बल्कि पिछले 10 साल से देश में हिन्दू-मुसलमान कर रहे हैं। वे कभी मुद्दों का राजनीति नहीं करते हैं।
प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी प्रधानमंत्री के हिंदू मुस्लिम वाले बयान पर हमलावर हैं। मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘एम वर्ड’ से बहुत प्यार है, इसलिए वो लगातार मुस्लिम, मटन और मंगलसूत्र पर बातें करते रहते हैं। लखनऊ में अखिलेश यादव के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री के बयान पर सवाल उठाए। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के अलावा AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने भी प्रधानमंत्री के बयान को झूठी सफाई बताया है। ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर ट्वीट कर कहा मोदी ने अपने भाषण में मुसलमानों को घुसपैठिया और ज़्यादा बच्चे वाला कहा था। अब वो कह रहे हैं कि वो मुसलमानों की बात नहीं कर रहे थे, उन्होंने कभी हिन्दू-मुस्लिम नहीं किया तो श्रीमान जी ये बताइए ये झूठी सफाई देने में इतना वक्त क्यों लग गया? मोदी का सियासी सफर सिर्फ़ और सिर्फ़ मुस्लिम विरोधी सियासत पर बना है। इस चुनाव में मोदी और बीजेपी ने मुसलमानों के खिलाफ अनगिनत झूठ और बेहिसाब नफरत फैलाई है।
ओवैसी ने आगे लिखा, “कटघरे में सिर्फ़ मोदी नहीं हैं, बल्कि हर वो वोटर है, जिसने इन भाषणों के बावजूद बीजेपी को वोट दिया।” ज्यादा पुराना नहीं इसी चुनाव का रिकॉर्ड खंगालने से पता चलता है कि पीएम मोदी ने 21 अप्रैल को राजस्थान की एक रैली में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक पुराने भाषण का हवाला देते हुए मुसलमानों पर टिप्पणी की थी, जिसमें उन्हें ‘घुसपैठिए’ और ‘ज़्यादा बच्चे पैदा करने वाला’ कहा था। पीएम मोदी के इस बयान पर काफी विवाद हुआ था और चुनाव आयोग से भी शिकायत की गई थी यानी हिंदू-मुस्लिम वाले बयानों पर प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ एक शिकायत तो चुनाव आयोग तक पहुंच चुकी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री मोदी ने कांग्रेस के घोषणापत्र को मुस्लिम लीग की प्रतिलिपि बताया था। उनका ये बयान भी पब्लिक डोमेन में है तो फिर सवाल उठता है कि प्रधानमंत्री को आखिर ऐसा बयान देने की जरूरत क्यों पड़ी कि वो हिंदू-मुसलमान नहीं करते हैं और जिस दिन करेंगे। उस दिन सार्वजनिक जीवन में रहने योग्य नहीं रहेंगे।
वहीं, सियासत और चुनावी राजनीति के जानकार इसके कई कारण बता रहे हैं। मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में निसंदेह तौर पर मुस्लिम समाज के लिए कई बड़े काम किए गए गए हैं, जिनमें तीन तलाक विरोधी कानून और मुफ्त राशन जैसी किसी भी योजना में बिना भेदभाव सबका साथ सबका विकास मूल मंत्र को ध्यान में रखा गया है। जानकारों की राय है कि प्रधानमंत्री के आक्रामक भाषणों से संभव है कि पहले चार चरणों में बीजेपी और एनडीए को उस तादाद में मुस्लिम मतदाताओं का साथ न मिला हो, जिसकी उन्होंने इस चुनाव में उम्मीद लगा रखी थी। ये भी हो सकता है पिछले चार चरणों में मुस्लिम वोट एकमुश्त विपक्ष के खाते में जाने की प्रधानमंत्री और उनके सलाहकारों के पास कोई खुफिया सूचना हो। इसलिए प्रधानमंत्री ने वाराणसी के बयान से उदारवादी मुसलमानों को साधने की कोशिश की हो, मुसलमानों के लेकर लचीला बयान दिया हो।
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