दिल्ली के बहुचर्चित सौम्या विश्वनाथन हत्याकांड में साकेत कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए इसमें पांच लोगों को दोषी माना है। कोर्ट सजा का ऐलान 26 अक्टूबर को करेगा। 30 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में धमाके हुए थे और सौम्या विश्वनाथन टीवी टुडे ग्रुप के अंग्रेजी चैनल हैडलाइंस टूडे में डेस्क पर काम करती थीं। उस दिन उनकी इवनिंग शिफ्ट थी लेकिन ब्लास्ट की वजह से वो काफी लेट हो गईं थीं। सौम्या दिल्ली के करोलबाग के अपने आफिस के दफ्तर से अपने घर वसंत कुंज निकलीं लेकिन घर नहीं पहुंचीं। पुलिस को सौम्या की कार पलटी हुई हालत में मिली और सौम्या के सिर पर घाव था जो लग रहा था कि एक्सीडेंट की वजह से लगा है। पुलिस भी शुरुआत में इसे एक्सीडेंट का ही केस मानकर चल रही थी लेकिन जब पोस्टमॉर्टम हुआ तो पता चला कि सौम्या की मौत सिर में गोली लगने की वजह से हुई है। महिला पत्रकार की गोली मारकर हत्या की खबर ने पूरी दिल्ली पुलिस को हिला दिया और दिल्ली पुलिस ने कई टीमें बनाकर तफ्तीश की लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। लगभग 6 महीने गुजर गए लेकिन सौम्या के कातिलों की कोई खबर नहीं थी।
मार्च 2009 में एक और कांड हुआ जिसमें एक आईटी एक्जीक्यूटिव जिगिषा घोष अचानक लापता हो गईं थीं और उसकी लाश 18 मार्च 2009 दिल्ली से सटे फरीदाबाद के सूरजकुंड इलाके में मिली थी। पुलिस मामले की जांच पड़ताल में जुट गई, दो-तीन में ही जिगिषा घोष मर्डर केस सुलझ गया। इस केस में पुलिस को पहला सुराग सीसीटीवी फुटेज मिला। इस फुटेज में एक आरोपी के हाथ पर टैटू दिखा, आरोपियों ने जिगिषा के डेबिट कार्ड से सरोजनी नगर की एक दुकान से शॉपिंग की थी। दूसरे आरोपी के पास पुलिसकर्मी से चुराया गया वायरलेस था और उसने टोपी पहन रखी थी। इन सुरागों के मिलने के बाद पुलिस ने ह्यूमन इंटेलिजेंस नेटवर्क पर बारीकी से काम किया और जल्द ही मसूदपुर स्थित बलजीत मलिक के घर पर दबिश दी। इसके बाद अन्य आरोपियों में रवि कपूर और अमित शुक्ला को भी गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उन्होंने जिगिशा के कत्ल की बात तो कबूल करी ही करी ये भी बताया कि उन्होंने छह महीने पहले नेल्सन मंडेला मार्ग पर एक और लड़की की हत्या की है, जो वसंत विहार से बहुत दूर नहीं था. ये बात सुनकर पुलिस को झटका लगा, कपूर ने ये भी बताया कि इस हत्या में दो अन्य साथी अजय कुमार और अजय सेठी भी शामिल थे।
इस खुलासे के बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर एचजीएस धालीवाल ने पुलिस वालों की एक टीम तैयारी की जिसमें दक्षिण जिले के बेहतरीन अफसरों को शामिल किया गया। इस टीम की बागडोर एसीपी भीष्म सिंह को सौंपी गई। पुलिस के पास सौम्या हत्याकांड के आरोपियों का कबूलनामा था, लेकिन बड़ी चुनौती फोरेंसिक सबूत इकट्ठा करने की थी। जिस रात विश्वनाथन की हत्या हुई उस रात की डिटेल्स बताते हुए पुलिस ने कहा कि कपूर मारुति वैगन आर कार चला रहा था उसके बगल वाली सीट पर अमित शुक्ला बैठा हुआ था। बलजीत मलिक और अजय कुमार पीछे की सीट पर बैठे, रवि ने बताया कि वो सभी नशे में थे। 30 सितंबर की रात सौम्या की कार इनकी कार के पास से गुजरी थी क्योंकि सौम्या पहले से ही लेट थीं लिहाजा वो कार थोड़ी स्पीड में चला रही थीं। रात का वक्त था और रोड पर ट्रैफिक भी नहीं था।
जब सौम्या की गाड़ी रवि की वैगन आर के पास से गुजरी तो बाकी लोगों ने रवि पर तंज कसा की एक लड़की उससे आगे निकल गई और वो पीछे रह गया। इसके बाद रवि ने अपनी कार की स्पीड बढ़ा दी और सौम्या की कार के पास ले गया। उसने पहले सौम्या को रोकने की कोशिश की लेकिन जब वो नहीं रुकी तो उसने चलती गाड़ी पर गोली चला दी। गोली सौम्या के सिर में लगी और सौम्या की कार डिवाइडर से टकरा कर पलट गई। जिसके बाद ये सभी मौके से भाग गए। 20 मिनट बाद ये मौका-ए-वारदात पर लौटे लेकिन तब तक पुलिस आ चुकी थी, पुलिस को देखकर ये लोग मौके से फरार हो गए। इस फैसले के लिए सौम्या विश्वनाथन के माता-पिता ने 15 साल तक इंतजार किया है और वो इस फैसले से खुश हैं। सौम्या के पिता इन सभी दोषियों के लिए उम्र कैद की सजा की मांग कर रहे हैं। इस केस की तफ्तीश करने वाली पुलिस टीम भी फैसले से खुश है। पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक इन अपराधियों को अदालत में दोषी ठहराने में तीन मुख्य वजह हैं पहला क्राइम में इस्तेमाल हथियार, क्राइम सीन का फॉरेंसिक स्केच और पूरी वारदात का क्रम आरोपी के बयान से मेल खाता है। अब 26 अक्टूबर को इस मामले में कोर्ट सजा का ऐलान करेगा।