केंद्र में विपक्ष और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार के बीच तनाव बढ़ जाने के कारण सोमवार को संसद के दोनों सदनों से 92 सांसदों को निलंबित कर दिया गया। जिसके बाद विपक्षी नेताओं ने इसे “लोकतंत्र की हत्या” करार दिया।
शेष शीतकालीन सत्र के लिए विपक्षी सांसदों को निलंबित करने का कारण “कदाचार” और अध्यक्ष के निर्देशों का पालन करने में विफलता बताया गया। लेकिन संसद सुरक्षा उल्लंघन की घटना पर केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बयान की विपक्ष की मांग पर हुए हंगामे के बाद संसद से 92 सांसदों को निलंबित कर दिया गया।
लोकसभा से निलंबित सदस्य
सांसदो के नाम | पार्टी |
कल्याण बनर्जी | (टीएमसी) |
ए राजा | (डीएमके) |
दयानिधि मारन | (डीएमके) |
अपरूपा पोद्दार | (टीएमसी) |
प्रसून बनर्जी | (टीएमसी) |
ई.टी. मोहम्मद बशीर | (आईयूएमएल) |
जी. सेल्वम | (डीएमके) |
सी.एन. अन्नादुरई | (आईयूएमएल) |
अधीर रंजन चौधरी | (कांग्रेस) |
टी. सुमति | (डीएमके) |
के. नवस्कनी | (आईयूएमएल) |
के. वीरास्वामी | (डीएमके) |
एन.के. प्रेमचंद्रन | (आरएसपी) |
सौगत रॉय | (टीएमसी) |
शताब्दी रॉय | (टीएमसी) |
असित कुमार मल | (टीएमसी) |
कौशलेंद्र कुमार | (जेडीयू) |
एंटो एंटनी | (कांग्रेस) |
एस.एस. पलानीमणिक्कम | (डीएमके) |
थिरुनावुक्कारासर | (कांग्रेस) |
प्रतिमा मंडल | (टीएमसी) |
काकोली घोष दस्तीदार | (टीएमसी) |
के. मुरलीधरन | (कांग्रेस) |
सुनील कुमार मंडल | (टीएमसी) |
एस. रामलिंगम | (डीएमके) |
के. सुरेश | (कांग्रेस) |
अमर सिंह | (कांग्रेस) |
राजमोहन उन्नीथन | (कांग्रेस) |
गौरव गोगोई | (कांग्रेस) |
टी.आर. बालू | (डीएमके) |
के. जयकुमार | (कांग्रेस) |
अब्दुल खालिक | (कांग्रेस) |
विजय वसंत | (कांग्रेस) |
इस बीच 45 निलंबित सांसदों में से 34 को शीतकालीन सत्र के शेष भाग के लिए निलंबित कर दिया गया है। जबकि 11 को राज्यसभा की विशेषाधिकार समिति की रिपोर्ट मिलने तक निलंबित कर दिया गया है।
राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने “कदाचार” के लिए विपक्ष के 34 सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया।
राज्यसभा से निलंबित सदस्य
सांसदो के नाम | पार्टी |
प्रमोद तिवारी | (कांग्रेस) |
जयराम रमेश | (कांग्रेस) |
अमी याजनिक | (कांग्रेस) |
नारणभाई | (कांग्रेस) |
सैयद नासिर हुसैन | (कांग्रेस) |
फूलो देवी नेताम | (कांग्रेस) |
शक्ति सिंह गोहिल | (कांग्रेस) |
के.सी. वेणुगोपाल | (कांग्रेस) |
रजनी पाटिल | (कांग्रेस) |
रंजीत रंजन | (कांग्रेस) |
इमरान प्रतापगढ़ी | (कांग्रेस) |
रणदीप सिंह सुरजेवाला | (कांग्रेस) |
सुखेंदु शेखर रॉय | (टीएमसी) |
मोहम्मद नदीमुल हक | (टीएमसी) |
अबीर रंजन विश्वास | (टीएमसी) |
शांतनु सेन | (टीएमसी) |
मौसम नूर | (टीएमसी) |
प्रकाश चिक बड़ाईक | (टीएमसी) |
समीरुल इस्लाम | (टीएमसी) |
एम. शनमुगम | (डीएमके) |
एन.आर. एलंगो | (डीएमके) |
कनिमोझी एन.वी.एन. सोमू | (डीएमके) |
आर. गिरिराजन | (डीएमके) |
मनोज कुमार झा | (आरजेडी) |
फैयाज अहमद | (आरजेडी) |
वी. सिवादासन | (सीपीआई-एम) |
रामनाथ ठाकुर | (जेडीयू) |
अनिल प्रसाद हेगड़े | (जेडीयू) |
वंदना चव्हाण | (एनसीपी) |
राम गोपाल यादव | (एसपी) |
जावेद अली खान | (एसपी) |
जोस के मणि | (केरल कांग्रेस एम) |
अजीत कुमार भुइयां | (निर्दलीय) |
इसके अलावा ग्यारह अन्य सांसद’ उनके निलंबन की अवधि निर्धारित करने के लिए गोयल द्वारा निलंबन को विशेषाधिकार समिति के पास भेजा गया था।
सांसदो के नाम | पार्टी |
जेबी माथेर हिशाम | (कांग्रेस) |
एल. हनुमंतैया | (कांग्रेस) |
नीरज डांगी | (कांग्रेस) |
राजमणि पटेल | (कांग्रेस) |
कुमार केतकर | (कांग्रेस) |
जी.सी. | (कांग्रेस) |
चन्द्रशेखर, बिनॉय विश्वम | (सीपीआई) |
संतोष कुमार | (जेडीयू) |
जॉन ब्रिटास | (सीपीआईएम) |
एम. मोहम्मद अब्दुल्ला | (डीएमके) |
ए.ए. रहीम | (सीपीआई-एम) |
14 दिसंबर को टीएमसी के डेरेक ओ ब्रायन समेत अब कुल 46 सांसदों को राज्यसभा से निलंबित कर दिया गया है।
सोमवार को निलंबन के बाद विपक्षी सांसदों ने मोदी सरकार पर “निरंकुश” होने का आरोप लगाया। राज्यसभा सांसद और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि 47 सांसदों को निलंबित करके निरंकुश मोदी सरकार द्वारा लोकतांत्रिक मानदंडों को कूड़ेदान में फेंक दिया जा रहा है। मल्लिकार्जुन खड़गे ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा “विपक्ष-रहित संसद के साथ मोदी सरकार अब महत्वपूर्ण लंबित कानूनों को कुचल सकती है किसी भी असहमति को बिना किसी बहस के कुचल सकती है।” उन्होंने कहा कि विपक्ष की मांगों में सुरक्षा उल्लंघन पर शाह का बयान और दोनों सदनों में चर्चा शामिल है।
कांग्रेस सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 75 साल में संसदीय लोकतंत्र के लिए शायद यह सबसे दुखद दिन है। सुरजेवाला ने कहा”75 वर्षों में शायद यह संसदीय लोकतंत्र के लिए सबसे दुखद दिन है। देश के सांसद और विपक्ष क्या कह रहे हैं? हम केवल यह मांग कर रहे हैं कि केंद्रीय गृह मंत्री को सुरक्षा उल्लंघन पर बयान देना चाहिए। सांसदों की आवाज को दबाना और इसे विपक्ष-मुक्त संसद बनाकर पूरे विपक्ष को कमजोर करना – क्या यह लोकतांत्रिक है? सांसद मोदी सरकार के अहंकार को दर्शाते हैं इससे पता चलता है कि उसे न तो संसदीय मर्यादाओं पर भरोसा है और न ही देश के संविधान या लोकतंत्र पर भरोसा है।”
विपक्षी सांसदों के निलंबन पर टीएमसी सांसद शताब्दी रॉय ने कहा ”यह स्पष्ट है कि एक सांसद को बचाने के लिए 43 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। हम कल से सदन के बाहर रहेंगे देखते हैं आगे क्या कदम उठाया जाता है।”
कांग्रेस सांसद रंजीत रंजन ने कहा कि बीजेपी सरकार चाहती है कि सदन बिना विपक्ष के चले। रंजन ने कहा ”बीजेपी सरकार चाहती है कि सदन बिना विपक्ष के चले। वे चाहते हैं कि कोई भी विपक्षी सांसद सवाल पूछने और उनकी गलतियाँ बताने के लिए मौजूद न रहे उनका एकमात्र उद्देश्य हिटलर की तरह सरकार चलाना है।”
इसके अलावा टीएमसी सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने कहा कि बीजेपी संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष को दबाना चाहती है। बंद्योपाध्या ने कहा ‘’बीजेपी संसदीय लोकतंत्र में विपक्ष को दबाना चाहती है। वे विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं। हम इस मामले पर चर्चा करेंगे, कल इंडिया अलायंस की बैठक है। इस घटना के बाद इंडिया अलायंस के सभी सहयोगी एक-दूसरे के करीब आएंगे।‘’
कांग्रेस के राज्यसभा सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि अब संसद विपक्षी सांसदों के निलंबन के लिए है, बहस और चर्चा के लिए नहीं। वेणुगोपाल ने कहा ”सदन केवल एक ही उद्देश्य से चल रहा है, विपक्ष की पूरी आवाज को दबाना और अधिकतम लोगों को निलंबित करना, जो लोगों और सुरक्षा के मुद्दे उठा रहे हैं अब संसद विपक्षी सांसदों के निलंबन के लिए है, बहस और चर्चा के लिए नहीं।”
वेणुगोपाल ने एक्स पर पोस्ट़ किया “फासीवादी शासन के हाथों संसद से निलंबित किए जाने को हम सम्मान का प्रतीक मानते हैं। 47 लोकसभा सांसदों के बाद बीजेपी ने कुल 92 विपक्षी नेताओं को निलंबित करने के लिए राज्यसभा सांसदों को भी निलंबित कर दिया है। 92 पर क्यों रुकें? आप शानदार ढंग से शतक क्यों नहीं बनाते? भारत की जनता देख रही है मोदी जी। जब आप उन्हें इस क्रूर तरीके से चुप करा देंगे तो वे अपनी आवाज तब उठाएंगे जब इसकी जरूरत होगी। अगर आप हमें संसद में चुप करा देंगे तो हम विरोध में हर सड़क को गुंजायमान कर देंगे, यह हमारा दृढ़ संकल्प है।”
कांग्रेस के लोकसभा मुख्य सचेतक के सुरेश ने कहा कि हमने लोकसभा सांसदों का निलंबन रद्द करने की मांग की। सुरेश ने कहा ”हमने लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की। लोकसभा में हाल की घटनाएं बहुत गंभीर मुद्दा है यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मुद्दा है। इसलिए गृह मंत्री को लोकसभा में आकर बयान देना चाहिए। लेकिन सरकार ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है हमने लोकसभा सांसदों के निलंबन को रद्द करने की भी मांग की। यह एक बीजेपी सांसद थे जिन्होंने पास जारी किया और वह पास दो युवाओं को गैलरी में ले आया यह एक गंभीर सुरक्षा चूक है। वे सभी विपक्षी नेताओं को निलंबित करने जा रहे हैं वे लोकसभा में विपक्षी सदस्यों को नहीं चाहते विपक्षी सांसदों के बिना, उन्हें बहुत महत्वपूर्ण कानून पारित करना होगा यही है वे ऐसा क्यों कर रहे हैं।”
इस बीच कांग्रेस सांसद अब्दुल खालिक ने कहा कि यह ”लोकतंत्र की हत्या” है। उन्होंने कहा ”हमने केवल सुरक्षा उल्लंघन की घटना के संबंध में सरकार से जवाब मांगा था। हमने केवल यह पूछा था कि गृह मंत्री सदन में कब आएंगे और इस पर बयान देंगे और हमें ये सवाल पूछने के लिए निलंबित कर दिया गया है। बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा और रमेश बिधूड़ी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह “लोकतंत्र की हत्या है।” हम अपनी आवाज़ उठाना जारी रखेंगे।”
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि ऐसा अत्याचार देश को स्वीकार्य नहीं है। चतुवेर्दी ने कहा “ऐसा अत्याचार नहीं चलेगा। यह देश को स्वीकार्य नहीं है। जनता के विश्वास पर उन्हें यह जनादेश मिला है। उन्हें जनादेश इसलिए मिला क्योंकि उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा को एक महत्वपूर्ण मुद्दा माना था। लेकिन आज सबसे सुरक्षित इमारत पर हमला हो रहा है। इस पर न तो प्रधानमंत्री बोलते हैं और न ही गृह मंत्री। अगर हम आपका बयान मांगें तो आपने हमें सदन से निलंबित कर दिया यह किसी को स्वीकार्य नहीं है। हम इसके लिए लड़ना जारी रखेंगे। अगर हमें इसलिए निलंबित किया जा रहा है क्योंकि हम (बयान) मांग रहे हैं तो यह हमारे लिए सम्मान का प्रतीक है।”
बसपा सांसद रितेश पांडे ने कहा कि यह निलंबन दो पार्टियों के बीच उनकी जिद के कारण है। रितेश पांडे ने कहा ”सदन की कार्यवाही के लिए सभी सदस्यों को इसमें भाग लेना चाहिए। मुझे लगता है कि यह निलंबन दो दलों के बीच उनकी जिद के कारण है। विपक्षी दल उन निलंबित सदस्यों को वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं।” सत्ता पक्ष अपना काम करने की कोशिश कर रहा है और सदन चलाने की कोशिश कर रहा है हमारा रुख है कि हमें बहुजन समाज से जुड़े मुद्दों को रखना है कौन निलंबित है और कौन नहीं, सरकार क्या कर रही है या नहीं, यह उनके बीच है बसपा प्रमुख मायावती ने हमारा मार्गदर्शन किया है कि हमें बहुजन समाज की चिंताओं को सामने रखना चाहिए।”
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि सवाल पूछना उनका अधिकार है लेकिन आप अनावश्यक मुद्दा उठाते हैं और बाकी सभी का हक मारते हैं। तिवारी ने कहा “मुझे लगता है कि शेष सांसदों- जिनकी संख्या 450 से अधिक है उन्होंने अब राहत की सांस ली है। सवाल पूछना हमारा अधिकार है। लेकिन आप एक अनावश्यक मुद्दा उठाते हैं और बाकी सभी के अधिकारों को मारते हैं। यह न्याय नहीं है आप तख्तियां भी लाते हैं जो वर्जित है।”
कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर “शर्मनाक” का आरोप लगाते हुए गोयल ने कहा कि विपक्षी सदस्य तख्तियां लेकर आए और जानबूझकर संसदीय कार्यवाही को बाधित किया जबकि पहले यह निर्णय लिया गया था कि सदनों में तख्तियों की अनुमति नहीं दी जाएगी।