Somvati Amavasya:आज सोमवती अमावस्या है। अमावस्या का महत्व सभी के लिए है। सोमवती अमावस्या व्यक्ति के लिए पुण्यदायी और जीवनदायी है। इस पर्व पर हरिद्वार में गंगा स्नान करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य और मोक्ष की कामना की। गंगा स्नान करने के लिए यहां पर दूर-दूर से श्रद्धालु आए। मान्यता है कि इस अवसर पर गंगा में स्नान करने से सभी कष्ट दूर होते हैं। साथ ही मनोकामनाएं पूरी होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर पितरों के निमित पूजा करने से जीवन में सुख और शांति आती है। श्रद्धालुओं की भीड़ को देखकर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए हैं। मेला क्षेत्र को 5 सुपर जोन, 16 जोन और 39 सेक्टर में बांटकर अधिकारियों और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।
गंगा स्नान करने से परिवार में सुख-समृद्धि
सोमवती अमावस्या के अवसर पर सुबह से ही गंगा में स्नान करने के लिए गंगा तटों पर भीड़ उमड़ी। श्रद्धालुओं ने हर की पौड़ी पर गंगा स्नान किया। हर की पौड़ी पर भीड़ का आलम यह था कि पैर रखने की भी जगह नहीं थी। श्रद्धालुओं ने कहा कि सोमवती अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से परिवार में सुख-समृद्धि आती है। उन्होंने कहा कि पितरों की आत्मा भी तृप्त होती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
अमावस्या स्नान दान और पितरों के लिए बहुत ही पुण्यदायी
पंडित मनोज त्रिपाठी का कहना है कि जब भी कोई अमावस्या सोमयुक्ता अर्थात सोमवार के दिन पड़ेगी तो उसे सोमवती अमावस्या कहा जाता है। अमावस्या स्नान दान और पितरों के लिए बहुत ही पुण्यदायी होता है। इस दिन जो लोग अपने पितरों का निमित्त पूजा-अर्चना इत्यादि करते हैं, उनके पित तृप्त रहते हैं और उनका घर धन-धान्य से भरा रहता है। आज के दिन वट सावित्री की पूजा का भी बहुत महत्व है। पति की लंबी आयु और घर में खुशहाली के लिए इस दिन महिलाएं वट की पूजा भी करती हैं। आज के दिन ही महिलाएं वट सावित्री का व्रत भी रखती हैं।
पंडित मनोज त्रिपाठी नेे बताई खास बात
पंडित मनोज त्रिपाठी ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। आज के दिन हर की पौड़ी पर गंगा स्नान कर जो व्यक्ति अपने पुरोहितों, ब्राह्मणों को दान इत्यादि करता है, वह उसके पितरों को तो प्राप्त होता ही है। साथ ही उसको भी उसका कई गुना फल मिलता है। यदि कोई आज के दिन गंगा स्नान करने आ नहीं सकता तो वह घर पर ही गंगा जी का ध्यान कर स्नान करें। उसे भी वही फल प्राप्त होता है, जो गंगा स्नान करके प्राप्त होता है।