कतर की एक अदालत ने 26 अक्टूबर को भारतीय नौसेना के आठ पूर्व कर्मियों को मौत की सजा सुनाई। पूर्व नौसेना कर्मी एक साल से ज्यादा समय से हिरासत में थे। कतर की खुफिया सेवा ने पिछले साल अगस्त में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को हिरासत में लिया था। उस समय वे एक प्राइवेट फर्म के लिए काम कर रहे थे। इन लोगों को कांसुलर पहुंच प्रदान किए जाने के बाद कतर में भारतीय राजदूत ने उनसे मुलाकात भी की थी।
जिन आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को कतर के कोर्ट ने सजा सुनाई है। उनमें कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर संजीव गुप्ता, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर अमित नागपाल और सेलर रागेश शामिल हैं। ये सभी एक डिफेंस सर्विस प्रोवाइडर ऑर्गनाइजेशन- दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टेंसी सर्विसेज के लिए काम कर रहे थे। इस निजी फर्म का स्वामित्व रॉयल ओमानी एयर फोर्स के एक रिटायर्ड सदस्य के पास है। इस निजी फर्म के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया था लेकिन उसे पिछले साल नवंबर में रिहा कर दिया गया था। यह प्राइवेट फर्म कतर के सशस्त्र बलों को प्रशिक्षण और संबंधित सेवाएं उपलब्ध कराती थी।
कतर सरकार ने पूर्व भारतीय नौसैनिकों के खिलाफ आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया। इसलिए माना जा रहा है कि यह सुरक्षा से संबंधित मामला था। अदालत की सुनवाई में आरोपों का जिक्र किया गया लेकिन कतर और भारत सरकार ने उन्हें सार्वजनिक नहीं किया।
पूर्व भारतीय नौसैनिकों पर गुप्त क्षमताओं वाली कतर की एडवांस्ड पनडुब्बियों पर इजरायल के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया। इन आठ लोगों में से कुछ अत्यधिक सेंसटिव प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे जिसमें इटैलियन टेक्नोलॉजी आधारित गुप्त विशेषताओं वाली छोटी पनडुब्बियां शामिल थीं। हिरासत में लिए जाने के बाद से आठों लोगों को महीनों तक एकांत कारावास में रखा गया था। भारत सरकार लंबे समय से कहती आ रही है कि वह इन लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए कानूनी रास्ते तलाश रही है।
अप्रैल में मल्लिकार्जुन खरगे ने अपने ट्वीट में लिखा था भारत और कतर 2023 में राजनयिक संबंधों के 50वें वर्ष का जश्न मना रहे हैं। इसके अलावा भारतीय कतर में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय है। प्रधानमंत्री मोदी ने कतर में अपने समकक्ष को फीफा विश्व कप की शुभकामनाएं भेजीं लेकिन हमारे बहादुरों के कीमती जीवन को बचाने के लिए हस्तक्षेप नहीं कर सकते। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संसद में इस मामले को ‘बहुत ही संवेदनशील’ बताया था। पिछले वर्ष भाजपा प्रवक्ता नूपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मोहम्मद को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी पर कड़ी प्रतिक्रिया देने वालों में ‘कतर’ पहला देश था। कतर ने उस वक्त इस मुद्दे पर भारत से सार्वजनिक माफी की मांग की थी। भारतीय राजदूत को समन किया था। अब नौसेना के आठ अधिकारियों को मौत की सजा सुनाई गई है। विदेश मंत्रालय का कहना है कि वह पीड़ित परिवारों के संपर्क में है। कानूनी मदद के विकल्प पर आगे बढ़ा जाएगा।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस मामले को ‘बहुत महत्व’ दे रहा है और सभी कानूनी विकल्प तलाश रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि उसे शुरू में जानकारी मिली कि कतर की एक अदालत ने आज अल दाहरा कंपनी के आठ भारतीय कर्मचारियों से जुड़े मामले में फैसला सुनाया है।मंत्रालय ने कहा ‘‘हम मौत की सजा सुनाए जाने के फैसले से बेहद स्तब्ध हैं और फैसले के विस्तृत ब्योरे की प्रतीक्षा कर रहे हैं। हम परिवार के सदस्यों और कानूनी दल के संपर्क में हैं। हम सभी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।’’
मंत्रालय के एक बयान में कहा गया ‘‘हम इस मामले को बहुत महत्व देते हैं और इस पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। हम सभी तरह की राजनयिक और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। हम फैसले को कतर के अधिकारियों के समक्ष उठाएंगे।’’ इसमें कहा गया है कि इस मामले में कार्यवाही की गोपनीय प्रकृति के कारण फिलहाल कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा।