Ultra Edge Technology: इस समय क्रिकेट का सीजन चल रहा है। IPL 2024 अपने चरम पर है। मैच शुरू होते ही क्रिकेट के प्रशंसक टीवी या अपने स्मार्ट फोन पर चिपक जाते हैं और मैच का लुफ्त उठाते हैं। अगर आप क्रिकेट के शौकीन है तो आपने क्रिकेट में इस्तेमाल की जाने वाली अल्ट्रा-एज टेक्नोलॉजी के बारे में भी सुना होगा। आपने देखा होगा कि मैच के दौरान कई बार अल्ट्रा-एज टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है। ये टेक्नोलॉजी डिसीजन रिव्यू सिस्टम यानी DRS का हिस्सा होता है, जिससे बैट, पैड और कपड़ों से क्रिएट हुए साउंड का पता लगाया जाता है। आईए हम आपको बताते हैं कि ये टेक्नोलॉजी कैसे काम करती है…
ऐसे काम करता है Ultra Edge Technology
अल्ट्रा-एज टेक्नोलॉजी एक ऐसा सिस्टम है जिसका इस्तेमाल क्रिकेट में यह तय करने के लिए किया जाता है कि वैलिड गेंद फेंके जाने के बाद गेंद ने बल्ले को छुआ है या नहीं। क्रिकेट मैच के दौरान बल्लेबाज के पीछे स्टंप माइक का एक सिस्टम होता है और स्टेडियम के चारों ओर कैमरे लगाए जाते हैं, जो गेंद और उससे होने वाली ध्वनि पर नजर रखते हैं। बल्ले से टकराने पर गेंद एक विशेष ध्वनि उत्पन्न करती है जिसे स्टंप माइक के द्वारा पिक कर लिया जाता है। इसके बाद ट्रैकिंग स्क्रीन पर डिटेक्ट किया जाता है। इस दौरान अगर गेंद ने बल्ले को हल्का सा भी छुआ है तो पता चल जाता है और आउट देने या न देने का फैसला लिया जाता है।
जानिए स्टंप माइक कैसे करता है काम
स्टंप में मौजूद माइक फ्रीक्वेंसी लेवल के आधार पर बैट, पैड और बॉडी से निकलने वाले साउंड के बीच अंतर बताता है। जैसे ही गेंद बल्ले से लगकर या उसके आसपास से जाती है, मैदान के विपरीत छोर पर बल्लेबाज के दोनों ओर लगे कैमरे फोटोग्राफिक रिप्रेजेंटेशन के लिए गेंद को ट्रैक करते हैं। फिर साउंड माइक्रोफोन गति के आधार पर ध्वनि पिक करता है और उसे ऑसिलोस्कोप पर भेजता है। यह ऑसिलोस्कोप वेव्स में साउंड फ्रीक्वेंसी लेवल को दर्शाता है। इसके बाद कैमरा और स्टंप माइक का कॉम्बिनेशन अंपायरों को यह तय करने में मदद करता है कि गेंद ने बल्ले को छुआ है या नहीं।