Radha Ashtami 2024: राधाष्टमी राधा रानी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाई जाती है। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधा रानी का जन्म ब्रजभूमि के बरसाना गांव में हुआ था। राधा रानी को श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका माना जाता है। राधा और कृष्ण का प्रेम भक्ति और समर्पण का प्रतीक कहा जाता है।
राधाष्टमी के दिन भक्त व्रत रखते हैं, जिसमें राधा-कृष्ण की पूजा-अर्चना की जाती है। भजन-कीर्तन के माध्यम से राधा जी को खुश किया जाता है। इस दिन देशभर के राधा और कृष्ण के मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। कई जगह तो राधा-कृष्ण की झांकियां निकाली जाती हैं।
जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाई जाती है राधाष्टमी
कृष्ण जन्म के लगभग 15 दिन बाद राधाष्टमी बड़े धूमधाम से मनाई जाती है, जो राधा रानी के जन्मदिन के रूप में मनाई जाती है। इस वर्ष जन्माष्टमी का त्योहार 26 अगस्त को था इसीलिए राधाष्टमी 11 सितंबर को मनाई जाएगी।
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राधाष्टमी को व्रत करने, मंदिरों में राधा-कृष्ण की झांकियां सजाने, राधा रानी के जीवन और श्रीकृष्ण के साथ उनके दिव्य प्रेम की कथाएं सुनने और भक्ति गीतों का आयोजन करवाने से राधा रानी के साथ ही श्रीकृष्ण भी प्रसन्न होते हैं।
क्या है राधा अष्टमी का महत्व
राधा रानी भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका और भक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। राधाष्टमी का महत्व भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा के दिव्य प्रेम और भक्ति से जुड़ा है। राधा रानी को ‘भक्ति देवी’ के रूप में पूजा जाता है। उनका जन्मोत्सव प्रेम, भक्ति और समर्पण के रूप में मनाया जाता है।
भक्तजन इस दिन व्रत रखते हैं, राधा-कृष्ण की पूजा करते हैं, और भजन-कीर्तन के माध्यम से उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। यह दिन भक्तों को प्रेम, त्याग, और ईश्वर के प्रति भक्ति का संदेश देता है।